Bihar Board 12th Hindi Essay Exam 2024: कक्षा 12वीं हिन्दी 100 मार्क्स IMP निबंध, परीक्षा 2024 के लिए, Bihar Board

Bihar Board 12th Hindi Essay Exam 2024: कक्षा 12वीं हिन्दी 100 मार्क्स IMP निबंध, परीक्षा 2024 के लिए, Bihar Board

Bihar Board 12th Hindi Essay Exam 2024: बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं हिंदी 100 मार्क्स 2024 परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण निबंध जो कि सभी छात्र को याद करना अति आवश्यक है, यह निबंध आपकी परीक्षा में पूछे जाने की पूरी संभावना है … अतः पूरा निबंध पढ़ें…

 

1. आपकी प्रिय पुस्तक
सर्वाधिक प्रिय पुस्तक-मुझे श्रेष्ठ पुस्तकों से अत्यधिक प्रेम है। याँ मुझे अनेक पुस्तकें पसंद हैं, लेकिन जिसने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया, वह है तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ ।

पुस्तक की विषय-वस्तु – रामचरितमानस’ में
दशरथ पुत्र राम की जीवन-कथा का वर्णन है। श्रीराम के जीवन का प्रत्येक लीला मन को भाने वाली है। उन्होंने किशोर अवस्था में ही राक्षसों का वध और यज्ञ-रक्षा का कार्य जिस कुशलता से किया है, वह मेरे लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। उनकी वीरता और कोमलता के सामने मेरा हृदय-श्रद्धा से झुक जाता है । हुआ

मार्मिक स्थल- रामचरितमानस में मार्मिक स्थलों का वर्णन तल्लीनता से । राम वनवास, दशरथ-मरण, सीता-हरण, लक्ष्मण-मूर्छा, भरत-मिलन आदि के प्रसंग दिल को छूने वाले हैं। इन अवसरों पर मेरे नयनों में आँसुओं की धारा उमड़ आती है। विशेष रूप से राम और भरत का मिलन हृदय को छूने वाला है ।

आदर्श व्यवहार का चित्रण – इस पुस्तक में तुलसीदास ने मानव के आदर्श व्यवहार को अपने पात्रों के जीवन में साकार होते दिखाया है। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे आदर्श राजा, आदर्श पुत्र, आदर्श पति और आदर्श भाई हैं । भरत और लक्ष्मण आदर्श भाई हैं। उनमें एक-दूसरे के लिए सर्वस्व त्याग की भावना प्रबल है । सीता आदर्श पत्नी है । हनुमान आदर्श सेवक है । पारिवारिक जीवन की मधुरता का जैसा सरस वर्णन इस पुस्तक में है, वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिलता।

प्रेरणादायी पुस्तक- यह पुस्तक केवल मार्मिक महत्व की नहीं है। इसमें मानव को प्रेरणा देने की असीम शक्ति है । इसमें राजा, प्रजा, स्वामी,दास, मित्र, पति, नारी, स्त्री, पुरुष सभी को अपना जीवन उज्जवल बनाने की शिक्षा दी गई है। राजा के बारे में उनका वचन है— जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी । सो नृप अवस नरक अधिकारी । तुलसीदास ने प्रायः जीवन के सभी पक्षों पर सुक्तियाँ लिखी हैं। इसके इन अनमोल वचनों के कारण यह पुस्तक अमरता को प्राप्त हो गई हैं।

भाषा-शैली- रामचरितमानस की भाषा अवधी है । इसे दोहा-चौपाई शैली में लिखा गया है। इसका एक-एक छंद रस और संगीत से परिपूर्ण है। इसकी रचना को लगभग 500 वर्ष हो चुके हैं। फिर भी आज इसके अंश मधुर कंठ में गाए जाते हैं ।

 

2. वन-संरक्षण की आवश्यकता
कानन, विपिन, जंगल, वन, अरण्य आदि सभी शब्द, प्रकृति की एक अनुपम देन का अर्थ, भाव और स्वरूप को प्रकट करने वाले हैं। आदिमानव का जन्म, उनकी सभ्यता संस्कृति का विकास, इन वनों में पल बढ़कर ही हुआ था। उनकी भोजन आवास आदि सभी समस्याओं का समाधान करने वाले तो थे ही उसकी रक्षा भी वे ही किया करते थे। वेदों, उपनिषदों की रचना तो वनों में हुई ही, ‘अरण्यक’ जैसे ज्ञान-विज्ञान के भण्डार माने जाने वाले महान ग्रन्थ भी अरण्यों अर्थात् वनों में लिखे जाने के कारण ही ‘अरण्यक कहलाए। यहाँ तक कि संसार का आदि महाकाव्य माना जाने वाला आदिकवि वाल्मीकि द्वारा रचा गया ‘रामायण’ नामक महाकाव्य भी एक तपोवन में ही स्वरूपाकार हो सका।

भारत क्या विश्व की प्रत्येक सभ्यता-संस्कृति में वनों का अत्यधिक मूल्य एवं महत्व रहा है। इस बात का प्रमाण प्रत्येक भाषा के प्राचीनतम साहित्य में देखा जा सकता है जिनमें सघन वृक्षावलियों के वर्णन बड़े सजीव ढंग से और बड़ा रस लेकर किए गए हैं। उन सभी साहित्यिक रचनाओं में अनेक तरह के संरक्षित वनों की चर्चा भी मिलती है। प्रश्न किया जा सकता है कि आखिर वनों को संरक्षित क्यों किया जाता था? इसका एक ही उत्तर हो सकता है किन केवल मानव-सभ्यता संस्कृति की रक्षा बल्कि अन्य प्राणियों की रक्षा के लिए भी तरह-तरह की वनस्पतियों, औषधियों आदि की रक्षा के लिए वन संरक्षण आवश्यक है। वन तरह-तरह के पशु-पक्षियों की प्रगतियों के लिए एकमात्र आश्रय-स्थल आज भी हैं। वहाँ कई प्रकार की वन्य एवं आदिवासी मानवजातियाँ भी निवास किया करती थीं। आज समय परिवर्तन के बाद भी वन संरक्षण की आवश्यकता ज्यों-की-त्यों बनी हुई है।

आज जिस तेजी से वनों की कटाई कर नये-नये उद्योग, कल-कारखानों को स्थापना हो रही है नये-नये रसायन, गैस, अणु आदि का निर्माण और परीक्षण जारी है जैविक शस्त्रास्त्र बनाये जा रहे हैं इन सभी से धुआँ, गैस कचरा आदि के निरन्तर निस्सरण से मनष्य तो क्या सभी तरह के जीव-जन्तुओं का पर्यावरण अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है। ऐसे में केवल वन ही हैं जो सारे विषैले और मारक प्रभाव से प्राणी-जगत की रक्षा कर सकते हैं। वनों के कारण ही उचित मात्रा में वर्षा हो सकती है और धरती की हरियाली बनी रह सकती है। हमारी सिंचाई और पेयजल की समस्या का समाधान भी वन संरक्षण से ही सम्भव हो सकता है। वन है तभी नदियाँ भी अपनी अमृतधारा से ओतप्रोत हैं। जिस दिन वन नहीं रहेंगे, सारी धरती वीरान और बंजर रेगिस्तान हो जाएगी। वन संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य, वृक्षारोपण जैसे सप्ताह मना लेने से सम्भव नहीं हो सकता। इसके लिए वास्तव में पंचवर्षीय योजनाओं की तरह आवश्यक योजनाएँ बना कर कार्य करने की जरूरत है। वह भी दो-चार वर्षों के लिए नहीं वरन् सतत एवं निरंतर तभी धरती एवं उसके पर्यावरण के जीवन एवं हरियाली की रक्षा संभव हो सकती है। इस दिशा में और देर करना घातक सिद्ध होगा। जीवन और वन एक-दूसरे के लिए अभिन्न हैं। अतः यह वन संरक्षण कार्य हमें आज ही आरम्भ कर देना चाहिए।

 

3. बढ़ती महँगाई

महंगाई की -मूल्यों में निरंतर वृद्धि का नाम महँगाई है। उत्पादन में कमी और माँग की वृद्धि के कारण वस्तुओं का मूल्य लगातार बढ़ने लगता है। बढ़ते मूल्य के चलते जनता त्रस्त हो जाती है, उसे अपने सीमित आय में महँगाई का सामना करने में बहुत दिक्कत होती है। बढ़ती हुई महँगाई निर्धन जनता के पेट पर ईंट बाँधती है। मध्यम वर्ग को अपने पारिवारिक बजट में कसौटी करने को मजबूर करती है। अपनी-अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष करने वाली निम्न एवं मध्यमवर्ग की जनता महँगाई की मार से किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाती है। इन दोनों वर्गों की जनता शिक्षा और स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान नहीं दे पाती, ‘रोटी और कपड़ा’ में ही उलझकर रह जाती निरंतर बढ़ती महँगाई के कारण हैं जिनमें मुख्य है- जनसंख्या वृद्धि की तीव्रता के कारण पूर्ति का माँग के अनुसार नहीं होना। एक प्रतिशत वार्षिक दर से मुद्रास्फीति तथा वस्तु-उत्पादन में ह्रास, घाटे की वित्तीय व्यवस्था, शहरीकरण की प्रवृत्ति, कालेधन का दुष्प्रभाव, व्यापारी वर्ग में मुनाफाखोरी और जमाखोरी की प्रवृत्ति, प्राकृतिक आपदाएँ आदि। विगत वर्षों में पर्याप्त वर्षा होने नहीं होने से खाद्यानों का अपेक्षित उत्पादन नहीं हो सका। दलहन और तेलहन की कीमतें आसमान छेने लगीं। इनका बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ा। सरकार आँकड़े पेश कर महँगाई को नियंत्रित बताती है पर वास्तविकता इसके विपरीत है। सरकार को महँगाई को नियंत्रित करने के ठोस उपाय करने चाहिए।

महँगाई के चलते आम लोगों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उनकी क्रयशक्ति बहुत ही कम हो गई है। महँगाई को दूर करने के चार कारगर उपाय हैं-कर चोरी को रोकना, राष्ट्रीयकृत उद्योगों के प्रबंधन एवं संचालन में अपेक्षित सतर्कता का होना, सरकारी खर्चों में योजनाबद्ध तरीके से कमी लाना तथा माँग के अनुसार उत्पादन में वृद्धि करना। पूर्णविवरण कमरतोड़ महँगाई को दूर करने के लिए राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार को मिलजुल कर प्रयत्न करना होगा साथ ही भारत की तमाम जनता को सतर्क होना होगा।

 

4. ‘भारतीय एकता’
भारत भौगोलिक तथा आचार-निष्ठाओं की दृष्टि से विभन्नताओं का देश है पर इसकी महतवपूर्ण विशेषता है, ‘विभिन्नताओं में अभिन्नता’ का होना। यह अभिन्नता ही हमारे देश की विशिष्ट पहचान है। ‘अनेकता में एकता’ ही हमारी सांस्कृतिक देन है जिसने भारत को एकता के सूत्र में बाँध रखा है। ‘यह उत्तर में बर्फ से ढँके हिमालय से लेकर दक्षिण में धूप से सराबोर तटवर्ती-गाँवों, दक्षिण-पश्चिम तट पर आर्द्र उष्णतटबंधीय जंगलों, पूर्व में ब्रह्मपुत्र की घाटी के उपजाऊ क्षेत्र से लेकर पश्चिम में थार रेगिस्तान तक फैला है।” भारत को मुख्य रूप से छ: अंचलों में विभक्त किया जा सकता है। ये अँचल हैं- उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी, मध्यवर्ती तथा पूर्वोत्तर अंचल भारत राज्यों का संघ है। यहाँ संसदीय प्रणाली की सरकार है। संविधान

में भारत को धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य कहा गया है जो भारतीय एकता का मूल आधार है। संविधान में सम्पूर्ण भारत के लिए एक समान नागरिकता की व्यवस्था की गई है। संविधान के भाग चार के अनुच्छेद-51 ‘क’ में नागरिकों के कर्तव्य के सम्बन्ध में कहा गया है कि इन्हें धर्म, भाषा और क्षेत्रीय तथा वर्ग सम्बन्धी भिन्नताओं को भूल कर सद्भाव और भ्रातृत्व की भावना को प्रोत्साहन देना चाहिए।

धर्म, भाषा, क्षेत्र आदि की संकीर्णता की तरह ही जातिवादी संकीर्णता ने भी भारतीय एकता को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारतीय नागरिकों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इन कथित संकीर्णताओं को भूल कर देश की एकता एवं अखण्डता को मजबूत करने का प्रयास करें। इसी से देश समृद्ध और विकसित हो सकेगा। देश के प्रत्येक नागरिक को देशहित में सोचना चाहिए। देश के आगे धर्म, संप्रदाय, जाति, भाषा और क्षेत्रविशेष का महत्व नहीं होता। प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अलगाववादी तत्वों के प्रति सावधान रहें और देश की एकता और अखण्डता के लिए अपने प्राण उत्सर्ग करने को सदा तत्पर रहें।

 

Join Telegram – Click Here

Leave a Comment