Bihar Board 12th Chemistry Question Answer Exam 2024: 2024 परीक्षा के लिए Chemistry महत्वपूर्ण प्रश्न, Bihar Board

Bihar Board 12th Chemistry Question Answer Exam 2024: 2024 परीक्षा के लिए Chemistry महत्वपूर्ण प्रश्न, Bihar Board

 

 

प्रश्न 1. बिन्दु दोष को परिभाषित करें । ठोस रवा में फ्रेंकल दोष क्यों उत्पन्न हो जाता है ?

उत्तर क्रिस्टल में स्टॉइकियोमीट्री, नानस्टॉइकियोमीट्री एवं अशुद्धता दोष को बिन्दु दोष कहा जाता है। ठोस रवा में आयन का आकार काफी छोटा होता है। इन आयन के लिए अपनी स्थिति छोड़ना तथा क्रिस्टल जालक में स्थिति प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान होता है। जैसे AgCl, AgBr, AgI आदि।

 

प्रश्न 2. ‘शॉट्की त्रुटि’ तथा ‘फ्रेंकल त्रुटि’ के बीच क्या अंतर है ?

उत्तर शॉट्की त्रुटि में जालक से कटायन तथा अनायन लुप्त होते हैं जिससे व इनका घनत्व कम हो जाता है जबकि फ्रेंकेल त्रुटि में अनायन अपने स्थान को छोड़कर अंतराकाशी साइट में चला जाता है जिससे इनका घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

 

 

प्रश्न 3. फेरोचुम्बकीय तथा पाराचुम्बकीय में क्या अंतर है ?
उत्तर फेरोचुम्बकीय : वैसा पाराचुम्बकीय पदार्थ जो बाहरी आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र हटा लेने के बावजूद चुम्बकीय गुणों को प्रदर्शित करता है, फेरोचुम्बकीय पदार्थ 10 कहलाता है। पाराचुम्बकीय : वैसा पदार्थ जिसके आर्बिटल में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हो तथा बाहरी आरोपित चुम्बकीय क्षेत्र के हटाते ही वह चुम्बकीय गुण खो देता है, पाराचुम्बकीय कहलाता है।

 

 

प्रश्न 4. निम्नलिखित यौगिकों में से किसके रासायनिक आबंध में आयनिक अभिलक्षण होगा LiCl अथवा KCI.

उत्तर LiCl, क्योंकि Li का आकार K से बहुत ही छोटा होता है।

 

 

प्रश्न 5. (a) उप-सहसंयोजन संख्या (Co-ordination number) का क्या अर्थ है ?

(b) निम्न परमाणुओं की उपसहसंयोजन संख्या क्या है ?

(i) घनीय निविड़ संकुलित संरचना में

(ii) अंतः केन्द्रित घनीय संरचना में ।

उत्तर (a) ठोस में कोई एक जालक बिन्दु जितने अन्य जालक बिन्दुओं के संपर्क में रहता है, उसे उपसहसंयोजन संख्या कहते हैं।
(b) (i) बारह
(ii) अंत केन्द्रित घनीय संरचना = 8

 

 

प्रश्न 6. उपसहसंयोजन संख्या से आप क्या समझते हैं? ccp तथा bcc में उपसहसंयोजन संख्या बतायें।

उत्तर उपसहसंयोजन संख्या वह संख्या है जो बतलाता है कि किसी पदार्थ की संरचना में एक अवयवी कण के निकट और कितने अन्य कण अवस्थित है।

ccp में उपसहसंयोजन संख्या = 12
bcc में उपसहसंयोजन संख्या = 8

 

 

प्रश्न 7. फ्रेंकल दोष से आप क्या समझते हैं?
उत्तर यह दोष आयनिक ठोस द्वारा दिखाया जाता है। लघुतर आयन अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित होकर अंतराकाश स्थान में चला जाता है। यह वास्तविक स्थान पर रिक्तिका दोष और नए स्थान पर अंतराकाशी दोष उत्पन्न करता है। यह ठोस के घनत्व को परिवर्तित नहीं करता है। यह दोष ZnS, AgCl,AgBr, AgI इत्यादि में होता है।

 

 

प्रश्न 8. फोटोवोल्टिक सेल क्या है ?
उत्तर अक्रिस्टलीय सिलिकॉन फोटोवोल्टिक सेल के रूप में कार्य करते हैं ये सूर्य प्रकाश में विद्युत् उत्पन्न करते हैं ।

 

 

प्रश्न 9. पद ‘अक्रिस्टलीय (amorphous)’ को परिभाषित कीजिए। अक्रिस्टलीय ठोसों का कुछ उदाहरण दीजिए।

उत्तर ऐसा ठोस जिसका कोई निश्चित ज्यामितीय आकार नहीं होते हैं, अक्रिस्टलीय ठोस कहलाता है। उदाहरण सीसा, रबर, प्लास्टिक, सेल्यूलोज आदि।

 

 

प्रश्न 10. सोडियम क्लोराइड की तुलना में सीजियम क्लोराइड अधिक स्थायी (stable) होता है । कारण बताइए ।

उत्तर ज्ञातव्य है कि C.N. का मान उच्च होने पर, निविड संकुलित धनायनों और ऋणायनों में आकर्षण बल अधिक होगा और इस प्रकार, क्रिस्टल जालक का स्थायित्व अधिक होगा । सीजियम क्लोराइड (8 : 8) सोडियम क्लोराइड ( 6: 6) की तुलना में उच्च C.N. रखता है और इसीलिए प्रकृति में अधिक स्थायी होता है।

 

प्रश्न 11. लौह चुम्बकीय और फेरी चुम्बकीय पदार्थ गर्म करने पर अनुचुम्बकीय हो जाते हैं । विवेचना कीजिए ।

उत्तर जब लौह चुम्बकीय और फेरी चुम्बकीय पदार्थों को एक निश्चित पर गर्म करते हैं तब ये अनुचुम्बकीय हो जाते हैं। यह निश्चित ताप क्यूरी ताप कहलाता है। यह इलेक्ट्रॉन चक्रणों या उनके चुम्बकीय आघूर्ण के पुनरानुरेखण के कारण होता है जो कि अब एक विशिष्ट दिशा में अभिविन्यासित (oriented)
होती है ।

 

 

प्रश्न 12. सोडियम क्लोराइड का गलनांक सोडियम के गलनांक की में अधिक होता है । उचित कारण बताइए ।

उत्तर सोडियम क्लोराइड एक आयनिक ठोस है, जिसमें Nat एवं CF आयनों के बीच आकर्षण का प्रबल कूलॉम बल होता है । किन्तु सोडियम एक हो धात्विक ठोस है जिसमें आकर्षण का बल तुलनात्मक रूप से (comparatively) दुर्बल (weak) होता है । इसलिए सोडियम क्लोराइड का गलनांक सोडियम के गलनांक से अधिक होता है ।

 

 

प्रश्न 13. आयनिक ठोस क्यों गलित अवस्था में चालक होते हैं किन्तु ठोस अवस्था में नहीं ?
उत्तर आयनिक ठोसों में वैद्युत् चालकता आयनों की गति के कारण होता है, चूँकि ठोस अवस्था में आयनिक गतिशीलता नगण्य (negligible) होती है, ये इस अवस्था में चालक नहीं होते हैं। गलित अवस्था में उपस्थित आयनों में कुछ गतिशीलता आ जाती है। अतः आयनिक ठोस गलित अवस्था में चालक बन जाते हैं।

 

 

प्रश्न 14. ठोस कठोर क्यों होते हैं ?
उत्तर ठोस कठोर होते हैं क्योंकि इसके संघटक कण अति संकुलित (Very Closely Packed) अति निकटता से बंधे होते हैं। इनमें कोई स्थानान्तरण गति स्थिति के परितः मात्र (translatory movement) नहीं होती है और ये अपनी माध्य कम्पन कर सकते हैं ।

 

प्रश्न 15. सिलिकन अम्ल में फास्फोरस का डोषन कैसे किया जाता है?

उत्तर जब सिलिकन में अम्ल मात्रा में फास्फोरस का डोषन किया जाता है तो विद्युत चालकता बढ़ जाती है। फास्फोरस के साथ सिलिकन का डोपन करने पर सिलिकन के संख्या के कुछ जगहों पर फास्फोरस का परमाणु आ जाता है। फास्फोरस का संयोजकता इलेक्ट्रान पाँच है। यह सिलिकन के चार संयोजकता सी इलेक्ट्रान के साथ सहसंयोजी बंध बनाता है जबकि फास्फोरस का पाँचवा इलेक्ट्रान बंधन में भाग नहीं लेता है। यह इलेक्ट्रान स्वतंत्र होता है जो विद्युत चालकता के लिए उत्तरदायी है।

 

 

प्रश्न 16. वैद्युत कण संचलन पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर कोलॉइडी कणों पर आवेश की उपस्थिति वैद्युत कण संचलन प्रयोग से संपुष्ट होती है । जब एक कोलॉइडी विलयन में डूबे हुए दो प्लेटिनम इलेक्ट्रोडों पर विद्युत विभव लगाया जाता है जो कोलॉइडी कण एक या दूसरे इलेक्ट्रोडों की ओर गमन करते हैं। विद्युत विभव के प्रभाव में कोलॉइडी कणों का संचलन वैद्युत कण संचालन कहलाता है । धनात्मक आवेशित कण कैथोड की ओर जबकि ऋणात्मक आवेशित कण ऐनोड की ओर गति करते जब किसी उपयुक्त प्रकार से वैद्युत कण संचलन अर्थात् कणों की गति रोकी जाती है तो यह देखा जाता है कि परिक्षेपण माध्यम विद्युत क्षेत्र में गति करना प्रारम्भ कर देता है । यह परिघटना वैद्युत परासरण कहलाती है ।

 

 

प्रश्न 17. अपोहन पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर यह एक उपयुक्त झिल्ली द्वारा अपोहन करके कोलॉइडी विलयन में से घुले हुए पदार्थों को निकालने का प्रक्रम है । चूँकि वास्तविक विलयन के कण जांतव झिल्ली, पार्चमेन्ट पत्र या सेलोफेन शीट में से निकल सकते हैं परन्तु कोलॉइडी कण नहीं, अतः झिल्ली को अपोहन में प्रयुक्त किया जा सकता है। इस उद्देश्य के लिए प्रयुक्त उपकरण अपोहक कहलाता है । कोलॉइडी विलयन से भरा एक उपयुक्त झिल्ली का बैग एक पात्र में लटकाया जाता है जिसमें से होकर जल निरंतर बहता रहता है । अणु एवं आयन झिल्ली में से विसरित होकर बाहरी जल में आ जाते हैं एवं शुद्ध कोलॉइडी विलयन शेष रह जाता है ।

 

 

प्रश्न 18. स्कंदन पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर द्रवविरागी सॉल का स्थायित्व कोलॉइडी कणों पर आवेश के कारण होता है । यदि किसी प्रकार आवेश हटा दिया जाये तो कण एक-दूसरे के समीप आकर पुंजित हो जायेंगे एवं गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाएँगे । कोलॉइडी कणों के नीचे बैठ जाने का प्रक्रम सॉल का स्कंदन या अवक्षेपण कहलाता है।

 

 

 

प्रश्न 9. अर्द्धपारगम्य झिल्ली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर ऐसी फिल्म (प्राकृतिक या सिन्थेटिक) जिनमें अतिसूक्ष्म छिद्र होते हैं जिससे विलायक के अणु आसानी से निकल जाते हैं, परन्तु विलेय के नहीं। ऐसी झिल्लियों को अर्द्धपारगम्य झिल्ली कहा जाता है।

 

 

प्रश्न 20. टिण्डल प्रभाव क्या है ? व्याख्या करें ।
उत्तर यदि अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाए तो यह स्वच्छ दिखाई देता है परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से समकोण दिशा में देखने पर वे मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाते हैं । यह प्रभाव टिण्डल प्रभाव कहलाता है।

 

 

 

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